भाषा मानव चेतना और ज्ञान के मूल में है। यह रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर शिक्षाविदों तक, सूचना और मनोरंजन के निष्क्रिय प्राप्तकर्ता से लेकर कार्यालयों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, स्कूल से लेकर मीडिया में सक्रिय पेशेवर जीवन तक सभी जगह व्याप्त है। समय के साथ भाषाओं का अध्ययन साहित्यिक कार्यों की ओर अधिक झुक गया और संचार संबंधी पहलू पृष्ठभूमि में चले गए।
हाल के दिनों में हमने कॉलेज जाने वाले छात्रों में भाषा अध्ययन के प्रति बढ़ती उदासीनता देखी है। वर्तमान पाठ्यक्रम भाषा के संचार पहलू को उजागर करने का प्रयास करता है क्योंकि लगभग दो दशकों से अनुवादकों और हिंदी अधिकारियों की बड़े पैमाने पर भर्ती, समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनलों में नौकरी के अधिक अवसरों के बाद भी, भाषा के उपयोग की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है।
शिक्षा की नई नीतियां उच्च शिक्षा के व्यवसायीकरण पर जोर दे रही हैं। परिणाम स्वरूप, कई विश्वविद्यालयों द्वारा कार्यात्मक हिंदी, व्यावसायिक हिंदी आदि पर कई पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं, लेकिन वे छात्रों के बीच उतने लोकप्रिय नहीं हो पाए जितने होने चाहिए थे।
इसलिए, छात्रों में शानदार भाषा कौशल विकसित करने के लिए, हाल के वर्ष (2023) में हमारे संस्थान में हिंदी में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू किया गया है।
दृष्टिकोण
समाज के समन्वित विकास में शिक्षा की अनिवार्यता को दृष्टिगत रखते हुए पारंपरिक ज्ञान-अनुशासन की सृजनात्मक संभावनाओं का दोहन तथा उच्च शिक्षा के जनतंत्रीकरण और मूलगामीकरण की दृष्टि से समर्थ बौद्धिक संसाधन का विकास।
उद्देश्य
छात्रोंकी वैचारिक दृष्टि तथा कल्पनाशीलता को मुक्त करने के लिए विचार और विश्लेषण का उपक्रम निर्मित करना।
विद्यार्थियों को भाषिक क्षमता (श्रवण, वाचन, लेखन) विकसित करने हेतु प्रेरित करना।
विद्यार्थियों में अंतर्निहित साहित्यिक सौंदर्यात्मक रुझान के साथ उनकी विविध रूपात्मक रचनात्मकता को विकसित करना।